इच्छाओ का निरोध वही सच्चा तप । श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्री जी

इच्छाओ का निरोध वही सच्चा तप । श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्री जी
भानपुरा।भुखे रहने का नाम तपस्या नही हे डाक्टर के कहने पर या जानबुझकर भुखा रहना तप नही कहलाता तप तो वह हे जहा इच्छाओ का निरोध हो स्वेच्छा से हो वह ही त्याग व तप हे उक्त विचार जैन साध्वी श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्री जी ने जयानदं भवन मे स्थानीय जैन श्वेताम्बर समाज मे चातुर्मास काल व पर्युषण पर्व के दोरान कि गई तपस्याओ के तपस्वियो के बहुमान समारोह मे अपने प्रवचन मे व्यक्त किए,आपने कहा कि तप से निर्जरा होती हे तप सारे विध्न दुर करता हे ,तप सभी इच्छाओ को पुरा करता हे,जन्म मरण कि वेदना करने वाला तप ही हे ,आत्मा रुपी मेल को व पुण्य के भण्डारं को प्रकट करने वाला भी तप ही हे श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्री जी ने कहा कि तप से दुख व दरिद्रता समाप्त होती हे साथ ही इस भवसागर से पार कराने वाला भी तप हे ,इस समारोह मे विहरमान तप करने वाले,अक्षय निधी तप करने वाले व समोशरण तप करने वाले तपस्वियो का श्री सघं कि ओर से बहुमान किया गया ,बहुमान समाज अध्यक्ष अनिल बाफना,डा पारस नाहर ,डा प्रमिला नाहर,श्रीमती सुजाता बाफना व चातुर्मास समिती अध्यक्ष अतिमं चोरडिया ने किया ,सचालंन जेन श्वेताम्बरं श्री सघं के सचिव अनिल नाहर ने किया ,साध्धी मण्डल ने एक सुदंर भजन गाकर तपस्वियो के तप कि वदंना कि,।