नवकार मत्रं विश्व मत्रं हे इससे अशातं वातावरण शातं होता हे

नवकार मत्रं विश्व मत्रं हे इससे अशातं वातावरण शातं होता हे
नवकार आराधक नीलेश राही
भानपुरा। देश के प्रसिध्ध नवकार मत्रं के आराधक नीलेश भाई राही ने 30 जुलाई को अपने भानपुरा आगमन पर इस प्रतिनिधी से बातचीत मे कहा कि नवकार मत्रं विश्व मत्रं हे इसे इसकी उपाधि मिली हुई हे नवकार मत्रं कि आराधना से अशान्त वातावरण शान्तं होता हे नीलेश भाई यहा नवकार मत्रं कि आराधना करने आए थे आराधना के बाद उन्होने बताया कि मे 1996 से यह आराधना 108 नवकार मत्र कि कर रहा हु देश के लगभग 1500 शहरो व नगरो मे यह आराधना कर चुका हु सुरत निवासी निलेश भाई ने कहा कि मे यह निशुल्क व निस्वार्थ करता हु मुझे यह प्रेरणा मेरे गुरु जमनभाई राही से मिली आपने कहा कि नवकार मत्रं के चमत्कार मेने कई बार जीवन मे साक्षात देखे हे मे खुद इस चमत्कार का गवाह बोम्बे ब्लास्ट रेल दुर्घटना यह उदाहरण हे ब्लास्ट के समय मे भी वही मोजुद था पर मुझे कुछ। नही हुआ यह सब नवकार मत्रं कि महिमा हे नीलेश भाई ने कहा कि नवकार भाव प्रधान हे ,मे जल्दी ही विश्व के अन्य देशो मे भी जाकर जहा जैन समाज के लोग रहते हे वहा जाकर उन्हे भी नवकार मत्रं कि महिमा से अवगत कराऊगा,जीवन मे कोई भी कष्ठ हो समस्या हो सच्चे मन से नवकार मत्रं कि आराधना करने से सब निवारण हो जाता हे निमेश भाई राही ने कहा कि मे मेरी नवकार मत्रं कि आराधना मे 108 नवकार को चार मुद्रा मे करता हु पहली ज्ञान मुद्रा,दुसरी समन्वय्य मुद्रा,प्राण मुद्रा,व शखं मुद्रा,हर मुद्रा का अलग महत्व हे नवकार कि आराधना व जाप किसी भी समय किसी भी स्थान पर करने से मन को शान्ती मिलती हे ,नीलेश भाई ने कहा कि नवकार मत्रं कि आराधना मे नि स्वार्थ भाव से करता हु मेरे उपर परम पुज्य साध्धी श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्री जी का आशीर्वाद हे आपने कहा कि इन चार मुद्राओ मे जाप करने से सब कष्ठो का दोषो का निवारण होता हे ,।