गरोठ भानपुरा विधानसभा क्षेत्र के दोनों दलों के दावेदार भोपाल व दिल्ली कि ओर कुच  

गरोठ भानपुरा विधानसभा क्षेत्र के दोनों दलों के दावेदार भोपाल व दिल्ली कि ओर कुच  
गरोठ भानपुरा विधानसभा क्षेत्र के दोनों दलों के दावेदार भोपाल व दिल्ली कि ओर कुच
 
भाजपा घोषणाओं के भरोसे तो कांग्रेस वादो के भरोसे
भानपुरा। विधानसभा चुनाव को अब दो माह से भी कम समय बचा है ओर आचार संहिता अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में लग सकती है दोनों प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस के दावेदार जो अपनी पार्टी से टिकट चाहते हैं क्षेत्र में अपनी दुकानदारी जमा कर अब दिल्ली ओर भोपाल कि ओर कुच कर गये हे भले ही दोनों दलों के हाईकमान यह कह रहे हो कि टिकट सर्वे के आधार पर साफ सुथरी छवि ओर कार्यकर्ताओं कि पसन्द का होगा पर ऐसा होता नहीं हे इसलिए संभावित जो भी दावेदार हैं टिकट के लिए अपने हर दांव का इस्तेमाल करने में लग गये हे जहा से भी उम्मीद है वहां अपने लिए समर्थन जुटा रहे हे दोनों ही पार्टियों के लिए यह चुनाव अस्तित्व कि लड़ाई हे भाजपा को सरकार बचाना है तो कांग्रेस को सरकार में आना हे उसके लिए हर दिन दोनों ही दल मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हर वह घोषणा कर रहे हे जो चार साल 10 माह में तो नहीं कि भाजपा सरकार में हे तो वह तो उन घोषणाओं को मुर्त रुप दे रही है वहीं कांग्रेस सरकार में आने पर कि गई घोषणाओं को लागु करने का भरोसा दिला रही है इन सब घोषणाओं से कितना फर्क पड़ेगा यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा पर इन सब घोषणाओं से मध्यम वर्ग जो इन घोषणाओं से अछुता हे देख रहा हे किस तरह दोनों हाथों से केवल सत्ता में आने के लिए दिया जा रहा हे आज गैस सिलेंडर के दाम कम किए जा रहे तो चार साल में क्यों नहीं किए ऐसी कई घोषणाएं हे जो चुनाव के चंद महीनों के पहले कि जा रही है मतलब साफ है कि अब मतदाता इन घोषणाओं पर ही वोट देगा सरकार के पांच सालों में किए गये विकास कार्यों पर नहीं सरकार को अपने कराए काम पर भरोसा नहीं ओर विपक्ष को अपनी नीतियों पर भरोसा नहीं कि उन्हें उस आधार पर वोट मिल सके चार साल 10 महीने या तो कुछ मत करो और दो माह में घोषणाएं करके सत्ता प्राप्त कर लो और विपक्ष भी चार साल 10 माह तो केवल मुकदर्शक रहता है ओर चुनाव नजदीक आते ही मतदाताओं को आसमान से तारे तोड़कर लाकर देने कि बात करता है ऐसा लगता है न सरकार को अपने काम पर भरोसा रहा ओर न विपक्ष को अपनी नीतियों पर जिससे मतदाता उन पर भरोसा जता सके , घोषणाएं अपनी जगह चल रही है ऐसा कोई दिन नहीं जब घोषणाएं न हो रही हो आमजन इस पर सोच रहा हे कि जब यह सब समस्याएं परेशानी सरकार को ओर विपक्ष को नजर आती है तो सरकार बनते ही क्यों नहीं प्राथमिकता से हल करती और विपक्ष भी इन मांगों ओर समस्याओं को हल करने के लिए विधानसभा व ससंद में क्यों नहीं मुद्दा उठाती सडको पर क्यों नहीं संघर्ष करती,पर इतना समय कहा कि यह सब किया जावे चुनाव के छ माह पहले घोषणाएं करके ओर मुर्त रुप देके मतदाताओं को अपने तरफ लाया जा सकता है जो सरकार में हे अगर वह बाहर हो गये तो जो सरकार बनेगी उसको आते ही उन घोषणाओं को अमल में लाना पड़ेगा नहीं तो लाभ लेने वाले नाराज मतलब अब प्राथमिकता विकास कार्य के बजाय लाडली बहना,योजना का लाभ,गैस सिलेंडर 450 में देना,बिजली माफ साथ ही अन्य घोषणाएं करना ओर लाभ देना रह गया है दल के सिद्धांत व नीतियां अब केवल भाषणों में रह गई हे,। उधर दोनों दलों के दावेदार कुछ तो थक कर बाहर हो गये ओर जो शेष रह गये हे जिन्हें उम्मीद है कि वह टिकट पा लेगा वह पुरी ताकत लगा रहा हे उसके लिए अपना सब कुछ लगा रहा हे अभी दोनो ही दलों में स्तिथि साफ नहीं हे कि टिकट इसको ही मिलेगा अंतिम चरण में ही इस क्षेत्र का टिकट तय होगा ,दोनों ही दलों में स्थानीय स्तर पर पर्यवेक्षक आकर चले गये अब टिकट का फैसला भोपाल व दिल्ली में ही हे तो सभी दावेदार वहां जाने लगे हे ।